ईरानी कैलेंडर के बहमन महीने की 19 तारीख़ सन् 1357 को ईरानी कमांडरों के एक समूह ने ईरान की इस्लामी क्रांति के संस्थापक इमाम ख़ुमैनी की बैयत या उनके प्रति निष्ठा का संकल्प लिया था।
8 फ़रवरी 1979 को घटने वाली ्रांति के वरिष्ठक इमाम ख़ुमैनी की बैयत या उनके का प्रबंधन नहीं हैत्नी का मानसिक दबाव में थेाना होता है और समय इस ऐतिहासिक घटना की वर्षगांठ पर बुधवार की सुबह इस्लामी क्रांति की वायु सेना के कमांडरों और कर्मचारियों के एक समूह ने ईरान की इस्लामी क्रांति के वरिष्ठ नेता से मुलाक़ात की है।
यह घटना, ईरान में इस्लामी क्रांति की सफलता के लिए एक अहम मोड़ साबित हुई। इसने लोगों का उत्साह बढ़ाया, जबकि तानाशाही शासन के लिए एक बड़ा झटका साबित हुई, जिससे वह इस्लामी क्रांति के आंदोलन के मुक़ाबले में पहले से अधिक कमज़ोर पड़ गया।
इस अवसर पर वायु सेना के कमांडरों और कर्मचारियों को संबोधित करते हुए वरिष्ठ नेता आयतुल्लाहिल उज़मा सैयद अली ख़ामेनई ने कहाः यह घटना कोई सामान्य सी घटना नहीं थी कि वायु सेना के कुछ युवा अधिकारी आएं और क्रांति के नेता को सेल्यूट करें, नहीं, बल्कि यह एक ऐसी घटना थी, जिसने क्रांति की सफलता में भूमिका निभाई। क्यों? क्योंकि उसने एक लहर पैदा कर दी। लहर पैदा करने का कारण, तेज़ी से इस ख़बर का फैलना था। इस घटना के कुछ ही घंटों के बाद, तेहरान से प्रकाशित होने वाले अस्र अख़बार ने उसकी तस्वीर प्रकाशित कर दी, जिसके बाद अचानक स्थिति में बड़ा बदलाव आया। एक ओर जहां लोगों का उत्साह बढ़ा और वे समझ गए कि अब सेना उनके मुक़ाबले में नहीं है, क्योंकि तुच्छ और अत्याचारी पहलवी शासन का एकमात्र हथियार यही था, वह इसी के ज़रिए लोगों की आवाज़ को चुकल रहा था। लोगों ने देखा कि अब सेना जनता के साथ खड़ी है और क्रांति की समर्थक है। उन्हें प्रेरणा मिली, जबकि विरोधियों का हौसला पस्त हो गया।
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